एक अफसर की मनमानी ने छीना था 17 जातियों का हक, फिर उम्मीदों के मुहाने पर मांग
अति पिछड़ों का जो हक लंबे समय से हुकूमत का दरवाजा पीट रहा है वह तो उनसे एक अफसर की मनमानी ने छीना था। 1957 के पहले तक तो इन सभी जातियों को अनुसूचित प्रमाण पत्र मिलते थे।
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